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इनकम टैक्स स्लैब 2020

वित्त वर्ष 2020-21 (आयु 2021-22) और नई कर व्यवस्था के लिए नई आयकर स्लैब दरों की जाँच करें।

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भारत में इनकम टैक्स की गणना लागू फ़ाइनेंशियल ईयर (FY) और असेसमेंट ईयर (AY) के लिए इनकम टैक्स स्लैब और रेट्स पर आधारित है। FY 2022-23 के लिए इनकम टैक्स स्लैब यूनियन (केंद्रीय) बजट 2022-23 के हिस्से के रूप में घोषित किए गए थे और FY 2022-23 (AY 2023-24) के लिए इनकम टैक्स स्लैब रेट्स FY 2022-23 (AY 2023-24) में इनकम टैक्स स्लैब और रेट्स के समान हैं।

आर्थिक वर्ष / फाइनेंशियल ईयर (एफवाय) 2020-21 और मूल्यांकन वर्ष / असेसमेंट ईयर (एवाय) 2021-22 के लिए नई इनकम टैक्स स्लैब

आईए व्यक्तियों के लिए नीचे दिए नए इनकम टैक्स स्लैब रेट्स 2020 की जाँच करें:

 

वार्षिक आय (इनकम)

नई टैक्स व्यवस्था

पुरानी टैक्स व्यवस्था

रु.2.5 लाख तक

            छूट

       छूट

रु.2.5 लाख - रु.5 लाख

5%*

5%*

रु.5 लाख - रु.7.5 लाख

10%

20%

रु.7.5 लाख - रु.10 लाख

15%

20%

रु.10 लाख - रु.12.5 लाख

20%

30%

रु.12.5 लाख - रु.15 लाख

25%

30%

        रु.15 लाख से ज़्यादा  

30%

30%

*इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 87ए के अनुसार रु. 5 लाख तक के करयोग्य आय (टैक्सेबल इनकम) वाले व्यक्तियों को रु. 12500 या इनकम टैक्स की 100% राशि, जो भी कम हो, छूट का लाभ प्राप्त हो सकेगा। [1]

2020-21 में सीनियर सिटिज़न / वरिष्ठ नागरिकों के लिए नई इनकम टैक्स स्लैब

इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अनुसार 60 वर्ष से उपर और 80 वर्ष की उम्र के कर दाताओं को वरिष्ठ नागरिक (सीनियर सिटिज़न) माना जाता है। आईए पुरानी टैक्स व्यवस्था के अनुसार वरिष्ठ नागरिकों के लिए इनकम टैक्स स्लैब की जाँच करें ।

वार्षिक आय

पुरानी टैक्स व्यवस्था

रु.3 लाख तक

छूट

रु.3 लाख - रु.5 लाख

5%

रु.5 लाख  - रु.10 लाख

20%

रु.10 लाख से ज़्यादा  

30%


नोट: नई टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत इनकम टैक्स स्लैब दरें सभी व्यक्तियों और वरिष्ठ नागरिकों (सीनियर सिटिज़न्स) को लागू होती है। नई टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत इनकम टैक्स स्लैब 2020 में वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोई अपवाद (एक्सेप्शन) उपलब्ध नहीं है।  

सुपर सीनियर सिटिज़न्स के लिए इनकम टैक्स स्लैब 2020-21

इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अनुसार 80 वर्ष से उपर की उम्र के कर दाताओं को सुपर सीनियर सिटिज़न्स माना जाता है। सीनियर सिटिज़न्स को इनकम टैक्स स्लैब फाइनेंशियल ईयर (एफवाय) 2020-21 और असेसमेंट ईयर (एवाय) 2021-22 (पुरानी टैक्स व्यवस्था) के अनुसार टैक्स का भुगतान करना होगा जिसका उल्लेख नीचे किया गया है:

वार्षिक आय

पुरानी टैक्स व्यवस्था

रु.5 लाख तक

छूट

रु.5 लाख  - रु.10 लाख

20%

रु.10 लाख से ज़्यादा  

30%

नोट: नई टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत सुपर सीनियर सिटिज़न्स भी इनकम टैक्स स्लैब 2020 का विकल्प चुन सकते हैं। इनकम टैक्स स्लैब रेट्स (दरें) 2020-21 सभी कर दाताओं के लिए समान है (व्यक्ति, सीनियर सिटिज़न/वरिष्ठ नागरिक और सुपर सीनियर सिटिज़न्स)

इसे भी पढ़ें:   एफवाय 2019-20 के लिए इनकम टैक्स रेट / दर

व्यक्तियों और सीनियर सिटिज़न्स के लिए इनकम टैक्स पर सरचार्ज (अधिभार)

निर्धारिती (असेसी) की कुल आय (इनकम) यदि एक विनिर्दिष्ट (स्पेसीफाइड) इनकम / आय सीमा से ज़्यादा होती है तो उस पर सरचार्ज (अधिभार)  लगाया जाता है। आईए एफवाय 2020-21 के लिए इनकम टैक्स पर सरचार्ज (अधिभार)  के बारे में पता करते हैं।   

वर्तमान सरचार्ज (अधिभार)  रेट्स (दरें) 2020-21  

इनकम (आय)

सरचार्ज (अधिभार)  रेट / दर

          रु.50 लाख से कम

शून्य

रु.50 लाख – रु.1 करोड

10%

रु.1 करोड – रु.2 करोड

15%

          रु.2 करोड – रु.5 करोड

25%

रु.5 करोड – रु.10 करोड

37%

रु.10 करोड  से ज़्यादा

37%

नोट: इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के  सेक्शन 111ए, 112ए और 115एडी के अंतर्गत करयोग्य आय (टैक्सेबल इनकम) से इनकम टैक्स पर 25% और 37% सरचार्ज (अधिभार) नहीं लगाया जाता । ऐसे मामले में इनकम टैक्स पर सरचार्ज (अधिभार) 15% है। हाँलाकि, इनकम टैक्स पर सरचार्ज (अधिभार)  के कुछ मामलों में अत्यल्प राहत (मार्जिनल रिलीफ) उपलब्ध कराई गई है।  

एचयूएफ के लिए इनकम टैक्स स्लैब 2020

यूनियन बजट 2020 के अनुसार, व्यक्ति और एचयूएफ फाइनेंशियल ईयर (एफवाय) 2020-21 के लिए इनकम टैक्स कैल्कुलेशन के लिए या तो पुरानी या नई टैक्स व्यवस्था चुन सकते हैं। एचयूएफ के लिए एफवाय 2020-21 और एवाय 2021-22 के लिए इनकम टैक्स स्लैब इस प्रकार है :

वार्षिक आय (इनकम)

नई टैक्स व्यवस्था

पुरानी टैक्स व्यवस्था

रु.2.5 लाख तक

छूट

छूट

रु.2.5 लाख - रु.5 लाख

5%

5%

रु.5 लाख - रु.7.5 लाख

10%

20%

रु.7.5 लाख - रु.10 लाख

15%

20%

रु.10 लाख - रु.12.5 लाख

20%

30%

रु.12.5 लाख - रु.15 लाख

25%

30%

        रु.15 लाख से ज़्यादा  

30%

30%

 

घरेलू कंपनी के लिए नई इनकम टैक्स स्लैब 2020

घरेलू कंपनी के लिए इनकम टैक्स स्लैब 30% के फ्लैट रेट (सपाट दर) पर निश्चित किया गया है। घरेलू कंपनी पर एवाय 2020-21 और 2021-22 के लिए लागू होनेवाला इनकम टैक्स स्लैब इस प्रकार है :

  घरेलू कंपनी

एवाय 2020-21

एवाय 2021-22

कुल टर्नओवर (कारोबार)/ एफवाय 2017-18 के लिए ग्रॉस रिसिप्ट (सकल प्राप्तियाँ) रु. 400  करोड तक

25%

एनए

कुल टर्नओवर (कारोबार)/ एफवाय 2018-19 के लिए ग्रॉस रिसिप्ट (सकल प्राप्तियाँ) रु. 400  करोड तक

एनए

25%

कोई अन्य घरेलू कंपनी

30%

30%

इसे भी पढ़ें: टीडीएस क्या है

असेसमेंट ईयर (मूल्यांकन वर्ष) 2020-21 और 2021-22 के लिए एक घरेलू कंपनी विशेष इनकम टैक्स रेट का विकल्प चुन सकती है। घरेलू कंपनी के लिए विशेष इनकम टैक्स रेट इस प्रकार है:

 घरेलू कंपनी

एवाय 2020-21

एवाय 2021-22

सेक्शन 115बीए के लिए  विकल्प चुनने पर

25%

25%

सेक्शन 115बीएए के लिए  विकल्प चुनने पर

22%

22%

सेक्शन 115बीएबी के लिए विकल्प चुनने पर

15%

15%


घरेलू कंपनी के लिए इनकम टैक्स पर सरचार्ज

यदि करयोग्य आय (टैक्सेबल इनकम) रु. 1 करोड से ज़्यादा और 10 करोड तक है तो घरेलू कंपनी के लिए इनकम टैक्स पर सरचार्ज इनकम टैक्स राशि के 7% के हिसाब से लगाया जाता है। यदि करयोग्य आय (टैक्सेबल इनकम) 10 करोड से ज़्यादा है तो सरचार्ज का दर ऐसे इनकम टैक्स का 12% है। हांलाकि कुछ मामलों में इनकम टैक्स पर सरचार्ज में मामूली राहत (मार्जिनल रिलीफ) उपलब्ध कराई जाती है। कुल करयोग्य आय (टैक्सेबल इनकम) चाहे कितनी भी हो सेक्शन 115बीएए, सेक्शन 115बीएबी के अंतर्गत करदेयता (टैक्सेबिलिटी) का विकल्प चुनने पर कंपनियों के लिए सरचार्ज रेट 10% होता है।

पार्टनरशिप (भागीदारी) फर्म के लिए इनकम टैक्स स्लैब 2020-21

फायनेंशियल ईयर (आर्थिक वर्ष) 2020-21 के लिए इनकम टैक्स स्लैब रेट्स पार्टनरशिप (भागीदारी) फर्म के लिए 30% के फ्लैट रेट पर निश्चित कर दिया गया है। 

पार्टनरशिप (भागीदारी) फर्म के लिए इनकम टैक्स पर सरचार्ज (अधिभार)

जहाँ कुल करयोग्य (टैक्सेबल) इनकम 1 करोड रुपए से ज़्यादा है पार्टनरशिप (भागीदारी) फर्म के लिए इनकम टैक्स पर सरचार्ज (अधिभार) दर टैक्स राशि का 12% है। हाँलाकि पार्टनरशिप (भागीदारी) फर्म के लिए इनकम टैक्स पर सरचार्ज (अधिभार) दर कुछ मामलों में मार्जिनल रिलीफ के अधीन है।.

एफवाय 2019-20 वि. एफवाय 2018-19 के लिए इनकम टैक्स स्लैब तुलना

व्यक्तियों के लिए:  

इनकम रेंज (आय सीमा)

इनकम टैक्स स्लैब एफवाय 2019-20, एवाय 2020-21

इनकम टैक्स स्लैब एफवाय 2018-19, एवाय 2019-20

रु.2,50,000 तक

-

-

रु.2,50,000 - रु.5,00,000

5%

5%

रु.5,00,000 - रु.10,00,000

20%

20%

रु. 10,00,000 से ज़्यादा

30%

30%

वरिष्ठ नागरिकों / सीनियर सिटिज़न्स के लिए:

इनकम रेंज (आय सीमा)

इनकम टैक्स स्लैब एफवाय 2019-20, एवाय 2020-21

इनकम टैक्स स्लैब एफवाय 2018-19, एवाय 2019-20

 रु.3,00,000 तक

-

-

रु.3,00,000 – रु.5,00,000

5%

5%

रु.5,00,000 – रु.10,00,000

20%

20%

रु..10,00,000 से ज़्यादा

30%

30%

सुपर सीनियर सिटिज़न्स के लिए

इनकम रेंज (आय सीमा)

इनकम टैक्स स्लैब एफवाय 2019-20, एवाय 2020-21

इनकम टैक्स स्लैब एफवाय 2018-19, एवाय 2019-20

रु.5,00,000 तक

-

-

रु.5,00,000 – रु.10,00,000

20%

20%

रु..10,00,000 से ज़्यादा

30%

30%

What is New Tax Regime?

वित्त मंत्री ने इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 115बीएसी के अंतर्गत व्यक्तियों और एचयूएफ करदाताओं के लिए नई टैक्स व्यवस्था पेश की है। नई टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत आप रियायती (कन्सेशनल) इनकम टैक्स दरों (रेट्स) का विकल्प चुन सकते हैं। लेकिन नई टैक्स व्यवस्था में, आप 70 डिडक्शन्स (कटौतियों) का लाभ नहीं उठा सकेंगे।[2] इनकम टैक्स कानून को आसान करने के लिए नई टैक्स व्यवस्था पेश की गई जिसमें उन करदाताओं के लिए, जो इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अंतर्गत उपलब्ध कुछ डिडक्शन्स (कटौतियों) और एक्ज़ेम्प्शन्स (छूट) का त्याग कर देते है, नए इनकम टैक्स रेट्स (दरें) कम किए जाएंगे। 

What is New Tax Regime?

वित्त मंत्री ने इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 115बीएसी के अंतर्गत व्यक्तियों और एचयूएफ करदाताओं के लिए नई टैक्स व्यवस्था पेश की है। नई टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत आप रियायती (कन्सेशनल) इनकम टैक्स दरों (रेट्स) का विकल्प चुन सकते हैं। लेकिन नई टैक्स व्यवस्था में, आप 70 डिडक्शन्स (कटौतियों) का लाभ नहीं उठा सकेंगे।[2] इनकम टैक्स कानून को आसान करने के लिए नई टैक्स व्यवस्था पेश की गई जिसमें उन करदाताओं के लिए, जो इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अंतर्गत उपलब्ध कुछ डिडक्शन्स (कटौतियों) और एक्ज़ेम्प्शन्स (छूट) का त्याग कर देते है, नए इनकम टैक्स रेट्स (दरें) कम किए जाएंगे। 

डिडक्शन्स (कटौतियों) की सूची जो नई टैक्स व्यवस्था में उपलब्ध नहीं होंगे

नई टैक्स व्यवस्था में जो व्यक्ति इनकम टैक्स स्लैब 2020 का विकल्प चुनेंगे वे इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अंतर्गत कुछ लोकप्रिय डिडक्शन्स (कटौतियों) और एक्ज़ेम्प्शन्स (छूट) का लाभ नहीं उठा पाएंगे। नई टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत 70 डिडक्शन्स (कटौतियों) [2] में से कुछ डिडक्शन्स (कटौतियाँ) और एक्ज़ेम्प्शन्स (छूट) इस प्रकार हैं: [3]

*सेक्शन 80सीसीडी (2) और 80जेजेएए को छोड़कर 

पुरानी टैक्स व्यवस्था वि. नई टैक्स व्यवस्था – कौनसी बेहतर है?

क्योंकि आर्थिक वर्ष 2020-21 में 2 टैक्स व्यवस्था उपलब्ध है, इसलिए आपके लिए यह जानना ज़रुरी है कि इनकम टैक्स का बोझ कम करने हेतु आपको कौनसा विकल्प चुनना चाहिए। हाँलाकि, यदि आप नई टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत नए इनकम टैक्स स्लैब 2020 का लाभ लेना चाहते हैं तो आर्थिक वर्ष 2020-21 के लिए इनकम टैक्स कैल्कुलेट (परिकलित) करने के लिए आप 70 डिडक्शन्स (कटौतियाँ) क्लेम नहीं कर सकते। आईए विभिन्न सैलरी ब्रैकेट के अंतर्गत कुछ उदाहरणों के ज़रिए समझने की कोशिश करते हैं -  पुरानी टैक्स व्यवस्था या नई टैक्स व्यवस्था में कौन बेहतर है।

केस 1– टैक्सेबल इनकम (करयोग्य आय) रु. 10 लाख से कम


26 वर्षीय स्नेहा, एक स्टार्टअप कंपनी में प्रति वर्ष 7 लाख की सैलरी पर काम करती है। यदि वो सेक्शन 80सी के अंतर्गत रु. 1.5 लाख के इन्वेस्टमेंट्स (निवेश) करती हैं और मान लेते हैं कि रु. 10,000 के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान करती है जिसके लिए इनकम टैक्स एक्ट,1961 के सेक्शन 80डी के अंतर्गत वह लाभ उठा सकती हैं। आईए आर्थिक वर्ष (एफवाय) 2020-21 के लिए इनकम टैक्स रेट 2020 के अनुसार और पुरानी टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत देय टैक्स की जाँच करते हैं :      

विवरण

नई टैक्स व्यवस्था (रु.में)

पुरानी टैक्स व्यवस्था (रु.में)

ग्रॉस टोटल इनकम / सकल कुल आय

7,00,000

7,00,000

कम: सेक्शन 80 सी डिडक्शन्स (कटौतियाँ)

-

(1,50,000)

कम: सेक्शन 80 डी डिडक्शन्स (कटौतियाँ)

-

(10,000)

कम: स्टैन्डर्ड डिडक्शन्स (कटौतियाँ)

-

(50,000)

टैक्सेबल इनकम (करयोग्य आय)

Rs.7,00,000

Rs.4,90,000

इनकम टैक्स स्लैब 2020-21 के अनुसार देय टैक्स (पेयेबल टैक्स)

रु.2.5 लाख तक

0

0

रु.2.5 लाख - रु.5 लाख

12,500

12,000

रु.5 लाख - रु.7.5 लाख

20,000

-

कुल

32,500

12,000

कम: सेक्शन 87A के अंतर्गत छूट *

-

12,000

जोड़ें: स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर / सेस (4%)

1300

-

नेट टैक्स पेयेबल

(निवल देय टैक्स)

33,800

NIL

*इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 87 ए के अंतर्गत दी जानेवाली छूट है रु. 12500 या वास्तविक देय टैक्स, जो भी कम हो। यह केवल उन व्यक्तियों के लिए लागू होता है जिनकी टैक्सेबल इनकम (करयोग्य आय) प्रतिवर्ष रु. 5 लाख तक हो। 

केस 2– टैक्सेबल इनकम (करयोग्य आय) रु.10 लाख से 15 लाख के बीच

30 वर्षीय व्यक्ति कार्तिक एक कंपनी में काम करते हैं। उनकी कुल इनकम है रु.12,00,000 ।  वह सेक्शन 80 सी के अंतर्गत रु. 1.5 लाख और सेक्शन 80सीसीडी के अंतर्गत रु.50,000 नेशनल पेन्शन सिस्टम में इन्वेस्ट (निवेश) करने की प्लानिंग कर रहे हैं। उनके पास मेडिकल इंश्योरेंस है जिसके लिए उन्हें प्रीमियम के तौर पर रु. 20,000 का भुगतान करना होता है जिसे पर इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80डी के अंतर्गत एक डिडक्शन (कटौती)  के तौर पर उन्हें लाभ मिल सकता है। आईए पुरानी टैक्स व्यवस्था वि. नई टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत आर्थिक वर्ष (एफवाय) 2020-21 (एवाय 2021-22) के लिए देय (पेयेबल) इनकम टेक्स की जाँच करते हैं:

विवरण

नई टैक्स व्यवस्था (रु.में)

पुरानी टैक्स व्यवस्था (रु.में)

ग्रॉस टोटल इनकम / सकल कुल आय

12,00,000

12,00,000

कम: सेक्शन 80 सी डिडक्शन्स (कटौतियाँ)

-

(1,50,000)

कम: सेक्शन 80 सीसीडी  डिडक्शन्स (कटौतियाँ)

-

(50,000)

कम: सेक्शन 80 डी डिडक्शन्स (कटौतियाँ)

-

(20,000)

कम: स्टैन्डर्ड डिडक्शन्स (कटौतियाँ)

-

(50,000)

टैक्सेबल इनकम (करयोग्य आय)

Rs.12,00,000

Rs.9,30,000

इनकम टैक्स स्लैब 2020-21 के अनुसार देय टैक्स (पेयेबल टैक्स)

रु.2.5 लाख तक

0

0

रु.2.5 लाख - रु.5 लाख

12,500

12,500

रु.5 लाख - रु.7.5 लाख

25,000

50,000

रु.7.5 लाख - रु.10 लाख

37,500

36,000

रु.10 लाख - रु.12.5 लाख

40,000

0

कुल

1,15,000

98500

जोड़ें: स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर / सेस (4%)

4600

3940

नेट टैक्स पेयेबल

(निवल देय टैक्स)

1,19,600

Rs.1,02,440


केस 3– टैक्सेबल इनकम (करयोग्य आय) रु.15 लाख से ज़्यादा

37 वर्षीय मनीष एक एमएनसी (बहुराष्ट्रीय कंपनी) के लिए काम करते हैं और सालाना रु. 16 लाख कमाते हैं। टैक्स की बचत के लिए इस आर्थिक वर्ष में वह कुछ इन्वेस्टमेंट (निवेश) करने की प्लानिंग कर रहे हैं। सेक्शन 80सी के अंतर्गत रु. 1.5 लाख और सेक्शन 80सीसीडी के अंतर्गत रु. 50,000 इन्वेस्ट (निवेश) करने की वह प्लानिंग कर रहे हैं। इसके साथ ही वह रु. 25,000 का हेल्थ इंश्योरेंस का भुगतान करते हैं जिसके लिए सेक्शन 80डी के अंतर्गत उन्हें डिडक्शन (कटौती) का लाभ मिल सकता है। उन्होंने होम लोन (गृह कर्ज़) भी लिया हुआ है। इसके साथ उन्हें सेक्शन 24 के अंतर्गत होम लोन इंटरेस्ट राशि पर रु. 2 लाख के डिडक्शन (कटौती) का लाभ मिलेगा।

आईए पुरानी टैक्स व्यवस्था वि. नई टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत आर्थिक वर्ष (एफवाय) 2020-21 (एवाय 2021-22) के लिए देय इनकम टेक्स की जाँच करते हैं:

विवरण

नई टैक्स व्यवस्था (रु.में)

पुरानी टैक्स व्यवस्था (रु.में)

ग्रॉस टोटल इनकम / सकल कुल आय

16,00,000

16,00,000

कम: सेक्शन 80 सी डिडक्शन्स (कटौतियाँ)

-

(1,50,000)

कम: सेक्शन 80 सीसीडी  डिडक्शन्स (कटौतियाँ)

-

(50,000)

कम: सेक्शन 80 डी डिडक्शन्स (कटौतियाँ)

-

(25,000)

कम: सेक्शन 24 डिडक्शन (कटौती)

-

(2,00,000)

कम: स्टैन्डर्ड डिडक्शन्स (कटौतियाँ)

-

(50,000)

टैक्सेबल इनकम (करयोग्य आय)

Rs.16,00,000

Rs.11,25,000

टैक्सेबल इनकम (करयोग्य आय)

रु.2.5 लाख तक

0

0

रु.2.5 लाख - रु.5 लाख

12,500

12,500

रु.5 लाख - रु.7.5 लाख

25,000

50,000

रु.7.5 लाख - रु.10 लाख

15%

37,500

50,000

रु.10 लाख - रु.12.5 लाख

20%

50,000

37,500

रु.12.5 लाख - रु.15 लाख

25%

62,500

-

रु.15 लाख  से ज़्यादा

30%

30,000

-

कुल

2,17,500

1,50,000

जोड़ें: स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर / सेस (4%)

8700

6,000

नेट टैक्स पेयेबल

(निवल देय टैक्स)

2,26,200

Rs.1,56,000

 

नई टैक्स व्यवस्था में रु. 15 लाख तक के इनकम टैक्स सेगमेंट में कम इनकम टैक्स स्लैब रेट्स (दरें) पेश की गई हैं। लेकिन, आपको नई टैक्स व्यवस्था का लाभ केवल तभी मिल सकता है जब आप पुराने टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत मिलने वाले 70 डिडक्शन्स (कटौतियों) छोड़ने के लिए तैयार हैं। इन एक्ज़ेम्प्शन्स (छूट) और डिडक्शन्स (कटौतियों) में शामिल हैं लीव ट्रैवल अलाउंस (एलटीए) / अवकाश यात्रा भत्ता, हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) / घर किराया भत्ता, इनकम टैक्स एक्ट के चैप्टर VI-ए के अंतर्गत  डिडक्शन्स (कटौतियाँ) जिसमें सेक्शन 80 सी, 80सीसीसी, 80सीसीडी, 80डी,80डीडी, 80ई, 80ईई, 80जी, 80जीजी, 80जीजीए, 80जीजीसी  और अन्य। इतना ही नहीं आप स्टैन्डर्ड डिडक्शन (कटौती) और  सेक्शन 24 के अंतर्गत होम लोन (गृह कर्ज़) इंटरेस्ट (ब्याज) का लाभ भी नहीं उठा पाएंगे।

नई टैक्स व्यवस्था में रु. 15 लाख तक के इनकम टैक्स सेगमेंट में कम इनकम टैक्स स्लैब रेट्स (दरें) पेश की गई हैं। लेकिन, आपको नई टैक्स व्यवस्था का लाभ केवल तभी मिल सकता है जब आप पुराने टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत मिलने वाले 70 डिडक्शन्स (कटौतियों) छोड़ने के लिए तैयार हैं। इन एक्ज़ेम्प्शन्स (छूट) और डिडक्शन्स (कटौतियों) में शामिल हैं लीव ट्रैवल अलाउंस (एलटीए) / अवकाश यात्रा भत्ता, हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) / घर किराया भत्ता, इनकम टैक्स एक्ट के चैप्टर VI-ए के अंतर्गत  डिडक्शन्स (कटौतियाँ) जिसमें सेक्शन 80 सी, 80सीसीसी, 80सीसीडी, 80डी,80डीडी, 80ई, 80ईई, 80जी, 80जीजी, 80जीजीए, 80जीजीसी  और अन्य। इतना ही नहीं आप स्टैन्डर्ड डिडक्शन (कटौती) और  सेक्शन 24 के अंतर्गत होम लोन (गृह कर्ज़) इंटरेस्ट (ब्याज) का लाभ भी नहीं उठा पाएंगे।

So, if you are making certain investments under the sections mentioned above, it is highly recommended to stay on the old tax regime as you will be able to reduce your taxable income, thus reducing your income tax liability as well.

On the other hand, if you are someone who is looking for an easy income tax calculation and income tax filing process or don’t want to make tax saving investments, then you can opt for the new tax regime.

इनकम टैक्स स्लैब 2020- बार बार पूछे जाने वाले सवाल

प्र. 2020 के लिए नए टैक्स ब्रैकेट्स क्या हैं?

उ. एफवाय 2020-21 और एवाय 2021-22 के लिए नए इनकम टैक्स स्लैब इस प्रकार हैं:

टैक्सेबल इनकम ब्रैकेट

टैक्स रेट

रु.2.5 लाख तक  

छूट

रु.2.5 लाख - रु.5 लाख

5%*

रु.5 लाख - रु.7.5 लाख

10%

रु.7.5 लाख - रु.10 लाख

15%

रु.10 लाख - रु.12.5 लाख

20%

रु.12.5 लाख - रु.15 लाख

25%

        रु.15 लाख से ज़्यादा  

30%


* सेक्शन 87 ए के अनुसार उन व्यक्तियों के लिए जिनकी टैक्सेबल इनकम (करयोग्य आय) प्रतिवर्ष रु. 5 लाख तक हो, उन्हें रु. 12500 या इनकम टैक्स राशि का 100%, जो भी कम हो, छूट का लाभ मिल सकेगा। [1]

प्र. नई टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत क्या व्यक्तियों और सीनियर सिटिज़न्स (वरिष्ठ नागरिकों) के लिए इनकम टैक्स स्लैब रेट्स (दरें) एक समान हैं?

उ. हाँ। नई टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत सभी कर दाताओं के लिए इनकम टैक्स स्लैब 2020 एक समान है। पुरानी टैक्स व्यवस्था के विपरीत, नई टैक्स व्यवस्था में टैक्स रेट्स (दरें) नियमित व्यक्तियों, वरिष्ठ नागरिकों/सीनियर सिटिज़न्स (60 वर्ष से ज़्यादा उम्र के और 80 वर्ष उम्र तक) और सुपर सीनियर सिटिज़न्स (80 वर्ष की उम्र से ज़्यादा) के लिए एक समान हैं।

प्र. क्या नई टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत मैं स्टैंडर्ड डिडक्शन (कटौती) का लाभ उठा सकता हूँ?

उ. नहीं, नई टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत आप स्टैंडर्ड डिडक्शन (कटौती) का लाभ नहीं उठा सकते। यूनियन बजट 2020 के अंतर्गत नई टैक्स व्यवस्था  में आप 70 डिडक्शन्स (कटौतियों) का लाभ नहीं पा सकेंगे।

प्र. क्या इनकम टैक्स स्लैब महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग है?

उ. नहीं, आर्थिक वर्ष (एफवाय) 2020-21 के लिए इनकम टैक्स स्लैब महिलाओं और पुरुषों के लिए समान है। पुरानी टैक्स व्यवस्था में केवल सीनियर सिटिज़न्स (वरिष्ठ नागरिकों) और सुपर सीनियर सिटिज़न्स को रियायती (कन्सेशनल) इनकम टैक्स स्लैब प्राप्त होते हैं।  

प्र. इनकम टैक्स में 87ए क्या है?

उ. इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 87ए के अंतर्गत यदि आपकी नेट टैक्सेबल इनकम (निवल करयोग्य आय) रु. 5 लाख से ज़्यादा नहीं हैं तो आपको इनकम टैक्स छूट मिल सकती है। सेक्शन 87ए केवल व्यक्तियों और एचयूएफ के लिए उपलब्ध है। सेक्शन 87ए के अंतर्गत कुल छूट है रु. 12,500 या इनकम टैक्स राशि का 100%, जो भी कम हो। 

सोर्स/स्त्रोत:

[1]https://www.incometaxindia.gov.in/_layouts/15/dit/mobile/viewer.aspx?path=https://www.incometaxindia.gov.in/charts++tables/tax+rates.htm&k&IsDlg=0

[2] https://www.indiabudget.gov.in/doc/Budget_Speech.pdf

[3] https://www.indiabudget.gov.in/doc/memo.pdf

ARN:- July/Bg/H/27

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