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एक करदाता के रुप में, आपको इनकम टैक्स को आर्थिक बोझ के तौर पर नहीं देखना चाहिए। इसके बजाय, टैक्स बचाने वाले विकल्पों पर ग़ौर करें और आपके फाइनेंशियल पोर्टफोलियो में विभिन्न टैक्स बेनिफिट इन्वेस्टमेंट्स (कर लाभ निवेशों) को शामिल कर आपके ज़्यादा से ज़्यादा टैक्स सेविंग करने के मौके तलाशें। टैक्स सेविंग ऑप्शन्स (विकल्पों) के बारे में इस विस्तृत गाईड का इस्तेमाल करते हुए इनकम टैक्स कैसे बचाएँ, इसके बारे में ज़्यादा जानिए।
भारत में इनकम टैक्स कैसे बचाएँ?
भारत में, इनकम टैक्स एक्ट,1961 के तहत ही इनकम टैक्स संबंधित सभी विषयों की निगरानी की जाती है। इस एक्ट (अधिनियम) के अनुसार, यह ज़रुरी है कि आपकी इनकम या बेनिफिट प्रत्येक फायनेंशियल ईयर में टैक्सेशन (कर-निर्धारण) के अधीन हो, यही वजह है कि आपको इनकम टैक्स कैसे बचाना है इसके बारे में जानकारी अवश्य होनी चाहिए।
आपकी कुल इनकम के आधार पर आप विभिन्न टैक्स बेनिफिट इन्वेस्टमेंट ऑप्शन (कर लाभ निवेश विकल्प) चुन सकते हैं और उसके अनुसार इनकम टैक्स बचत की योजना बना सकते हैं। विभिन्न तरीके जिनके ज़रिए आप टैक्स बचा सकते हैं उसके बारे में गहराई से जानने के लिए आपको यह समझना आवश्यक है कि किस तरह विभिन्न टैक्स सेविंग ऑप्शन (विकल्प) इस अधिनियम के अंतर्गत आते हैं। इस लेख में हम आयकर अधिनियम के अंतर्गत सभी प्रमुख टैक्स कटौतियों के बारे में जानेंगे:
- धारा 80सी (रु. 1.5 लाख तक)
- एनपीएस पर धारा 80सीसीडी
- हेल्थ इन्शुरेंस (स्वास्थ्य बीमा) प्रीमियम पर धारा 80डी
- एजुकेशन लोन (शिक्षा ऋण) पर धारा 80ई
- धारा 80ईई रु. 50,000 तक
- किए गए दान पर धारा 80जी
- एचआरए पर धारा 80जीजी
- बैंक ब्याज पर धारा 80टीटीए
इनकम टैक्स कटौतियों के इस्तेमाल से टैक्स कैसे बचाएँ?
इनकम टैक्स कैसे बचाएँ, इसे समझने के लिए पहला कदम है टैक्स बेनिफिट इन्वेस्टमेंट (कर लाभ निवेश) के लिए इनकम टैक्स एक्ट के अंतर्गत विभिन्न कटौतियों की अनुमति के बारे में जानना। आपके द्वारा चुने गए टैक्स सेविंग ऑप्शन्स (कर बचत विकल्पों) के अनुसार यह आपको टैक्सेबल इनकम (करयोग्य आय) कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं।
कटौतियों के लिए कई टैक्स बेनिफिट इन्वेस्टमेंट्स या खर्च किए गए एलिजिबल (पात्र) खर्चे होते हैं जिनसे जुड़े सबूत प्रस्तुत कर आप कटौतियों के लिए एलिजिबल (पात्र) हो जाते हैं और इसके अनुसार इनकम टैक्स बचत की योजना बना सकते हैं। इतना ही नहीं, इनकम टैक्स एक्ट की विभिन्न धाराएँ अलग अलग टैक्स बेनिफिट इन्वेस्टमेंट के लिए समर्पित हैं जिसे आपको टैक्स बचत के बारे में सीखने के लिए जानना चाहिए।
इनकम टैक्स कैसे बचाएँ, इसे समझने के लिए पहला कदम है टैक्स बेनिफिट इन्वेस्टमेंट (कर लाभ निवेश) के लिए इनकम टैक्स एक्ट के अंतर्गत विभिन्न कटौतियों की अनुमति के बारे में जानना। आपके द्वारा चुने गए टैक्स सेविंग ऑप्शन्स (कर बचत विकल्पों) के अनुसार यह आपको टैक्सेबल इनकम (करयोग्य आय) कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं।
कटौतियों के लिए कई टैक्स बेनिफिट इन्वेस्टमेंट्स या खर्च किए गए एलिजिबल (पात्र) खर्चे होते हैं जिनसे जुड़े सबूत प्रस्तुत कर आप कटौतियों के लिए एलिजिबल (पात्र) हो जाते हैं और इसके अनुसार इनकम टैक्स बचत की योजना बना सकते हैं। इतना ही नहीं, इनकम टैक्स एक्ट की विभिन्न धाराएँ अलग अलग टैक्स बेनिफिट इन्वेस्टमेंट के लिए समर्पित हैं जिसे आपको टैक्स बचत के बारे में सीखने के लिए जानना चाहिए।
इनकम टैक्स कैसे बचाएँ इसके बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए आईए टैक्स बेनिफिट इन्वेस्टमेंट और अन्य योगदान से संबंधित विभिन्न कटौतियाँ पर चर्चा करते हैं:
1. धारा 80 सी
धारा 80 सी इनकम टैक्स एक्ट एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, इसलिए आपको इसमें शामिल विभिन्न टैक्स सेविंग ऑप्शन्स (कर बचत विकल्पों) के बारे में जानना और कैसे अधिकतम इनकम टैक्स बचत की जाए इसे समझना चाहिए।
इनकम टैक्स 1961 की धारा 80 सी के अंतर्गत आप आपके टैक्स बेनिफिट इन्वेस्टमेंट्स (कर लाभ निवेशों) और विभिन्न फायनेंशियल प्रॉडक्ट्स (वित्तीय उत्पादों) में योगदानों पर कटौतियों का दावा पेश कर सकते हैं। कई टैक्स प्रोफेशनल्स इनकम टैक्स बचत के बारे में समझाते हुए मुख्य रुप से 80 सी कटौतियों पर विचार करते हैं।
धारा 80 सी[1] के अंतर्गत आप रु. 1.5 लाख की कटौती का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही इनकम टैक्स बचत के बारे में गहराई से जानने के लिए ईएलएसएस और पीपीएफ जैसे टैक्स सेविंग ऑप्शन्स के बारे में जानकारी लीजिए। जीवन बीमा प्रीमियम राशि, ईएलएसएस निवेश, टैक्स सेवर फिक्स्ड डेपोज़िट (कर बचत सावधि जमा), पीपीएफ निवेश, पीएफ कॉन्ट्रीब्यूशन (केवल एम्प्लॉई कॉन्ट्रीब्यूशन / कर्मचारी योगदान), होमलोन प्रिंसिपल रिपेमेंट अमाउंट (गृह कर्ज़ मूलधन वापसी राशि) और अन्य कई इनकम टैक्स एक्ट 1961 के अंतर्गत शामिल है। ऊपर बताए गए कटौतियों में से रु.1.5 लाख की कुल कटौती पर दावा पेश किया जा सकता है। टैक्स प्लानिंग के एक भाग के तहत विभिन्न टैक्स बेनिफिट इन्वेस्टमेंट्स के अलग अलग टैक्स सेविंग पहलूओं का विचार करना महत्वपूर्ण है।
2. धारा 80सीसीडी
इनकम टैक्स कैसे बचाएं इसके बारे में सीखते हुए आपने नेशनल पेन्शन सिस्टम (एनपीएस) के बारे में सुना होगा। आपकी नेट टैक्सेबल इनकम कम करने के लिए एनपीएस एक टैक्स सेविंग ऑप्शन/विकल्प है जिसे आप चुन सकते हैं। धारा 80सीसीडी उन कटौतियों को शामिल करता है जिसके बेनिफिट्स आपके एनपीएस में किए गए इन्वेस्टमेंट्स के साथ आप उठा सकते हैं। एनपीएस के साथ इनकम टैक्स कैसे बचाएँ इसे समझने के लिए आपको पहले धारा 80सीसीडी के बारे में विस्तार से समझना होगा।
80सीसीडी की दो उप-धाराएँ (सब-सेक्शन्स) विस्तार से बताती है किस तरह एनपीएस के साथ इनकम टैक्स की बचत की जा सकती है:
धारा 80 सीसीडी (1)
यह एनपीएस में टैक्स बेनिफिट इन्वेस्टमेंट (कर लाभ निवेश) को शामिल करती है जो आपको कटौतियों के लिए एलिजिबल (पात्र) बनाती है। इनकम टैक्स कैसे बचाएँ इसके बारे में आपके इरादे के अनुसार आप एनपीएस में इन्वेस्टमेंट (निवेश) कर सकते हैं और टैक्स बेनिफिट की सुविधा प्राप्त कर सकते हैं।
इस सब-सेक्शन (उपधारा) के अंतर्गत सैलरी पानेवाले (वेतनभोगी) व्यक्तियों और सेल्फ–एम्प्लॉइड (स्वनियोजित) व्यक्तियों के लिए अधिकतम कटौती उनकी सैलरी का क्रमश: 10% और टोटल ग्रॉस इनकम (कुल सकल आय) का 20% है। इनकम टैक्स सेविंग प्लान करते समय आपको यह पता होना चाहिए।
धारा 80सीसीडी (1बी)
80 सी में रु. 1.5 लाख की सीमा से बढ़कर रु. 50,000 की अतिरिक्त कटौती के साथ इसमें टैक्स बेनिफिट इन्वेस्टमेंट शामिल है। यदि आप अच्छा वेतन पाते हैं तो आपको इस धारा के अंतर्गत शामिल टैक्स सेविंग ऑप्शन्स (कर बचत विकल्पों) को आपकी इनकम टैक्स सेविंग प्लान में ज़रुर शामिल करना चाहिए।
3. धारा 80डी
हेल्थ इन्शुरेंस (स्वास्थ्य बीमा) [2] के टैक्स सेविंग ऑप्शन के प्रति भुगतान किए गए प्रीमियम के लिए इस धारा के अंतर्गत आप रु. 1 लाख तक की कटौती की सुविधा का लाभ ले सकते हैं। जब आप इनकम टैक्स सेविंग प्लान बना रहे हों तो ध्यान रखें इसमें हेल्थ कवर और टैक्स कटौती का ड्युएल बेनिफिट (दोहरा लाभ) शामिल है।
टैक्स डिडक्शन्स लिमिट (कर कटौती सीमा) के लिए सब-डिविज़न्स (उपवर्ग) इस प्रकार है:
- स्वयं, पति/पत्नी और बच्चों के लिए मेडिकल इन्शुरेंस प्रीमियम पर रु. 25,000 की कटौती
- यदि आप सीनियर सिटिज़न (वरिष्ठ नागरिक) है तो रु. 50,000 की कटौती
- आपके माता-पिता की ओर से भुगतान किए गए प्रीमियम पर रु. 25,000 की कटौती
- यदि आपके माता-पिता सीनियर सिटिज़न (वरिष्ठ नागरिक) हैं तो रु. 50,000 की कटौती
टैक्स डिडक्शन्स लिमिट (कर कटौती सीमा) के लिए सब-डिविज़न्स (उपवर्ग) इस प्रकार है:
- स्वयं, पति/पत्नी और बच्चों के लिए मेडिकल इन्शुरेंस प्रीमियम पर रु. 25,000 की कटौती
- यदि आप सीनियर सिटिज़न (वरिष्ठ नागरिक) है तो रु. 50,000 की कटौती
- आपके माता-पिता की ओर से भुगतान किए गए प्रीमियम पर रु. 25,000 की कटौती
- यदि आपके माता-पिता सीनियर सिटिज़न (वरिष्ठ नागरिक) हैं तो रु. 50,000 की कटौती
इनकम टैक्स कैसे बचाएँ इसे गहराई से समझने के लिए इन सब-डिविज़न्स (उपवर्गों) को जानना महत्वपूर्ण है।
इसे भी पढ़ें: भारत में हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने से पहले विचार करने के लिए टिप्स
4. धारा 80ई
इनकम टैक्स कैसे बचाएँ, इस योजना के एक भाग के तहत, आपके द्वारा लिया गया एजुकेशन लोन (शिक्षा ऋण) आपको टैक्स कटौती की सुविधा का लाभ दिला सकता है। अन्य टैक्स सेविंग ऑप्शन्स (कर बचत विकल्पों) के विपरीत, एजुकेशन लोन के लिए आपके द्वारा भुगतान किया गया इंटरेस्ट (ब्याज) धारा 80ई के अंतर्गत कटौती के लिए पात्र है।
इस धारा के अंतर्गत कैसे इनकम टैक्स बचाया जा सकता है इसके बारे में ज़्यादा समझने के लिए पहले आपको एक फायनेंशियल ईयर (वित्तीय वर्ष) में लोन इंटरेस्ट (ऋण के ब्याज) के तौर पर भुगतान की गई कुल राशि की जाँच करनी चाहिए। अन्य टैक्स बेनिफिट इन्वेस्टमेंट्स के प्रकारों के विपरीत इस धारा के अंतर्गत किए गए दावों में कटौती पर कोई अपर-लिमिट (ऊपरी सीमा) नहीं है। इनकम टैक्स सेविंग कैसे करें इसके बारे में विचार करते समय यह सबसे अलग फैक्टर है जिसके बारे में आपको ज़रुर जानना चाहिए।
5. धारा 80ईई
आपके टैक्स की योजना बनाते समय आपको आपके द्वारा लिए गए होम लोन (गृह कर्ज़) पर विचार करना चाहिए। क्योंकि धारा 80ईई आपके द्वारा होम लोन इंटरेस्ट (गृह कर्ज़ पर ब्याज) के लिए किए गए भुगतान पर रु. 50,000 तक की टैक्स कटौती की अनुमति देता है। यह टेक्स बेनिफिट धारा 80सी की सीमा के अलावा है जिसमें विभिन्न टैक्स सेविंग ऑप्शन्स शामिल हैं।
यदि आप पहली बार घर खरीद रहे हैं तो आपकी टैक्स प्लानिंग में इस धारा को शामिल करें। इसके अलावा लोन अमाउंट (कर्ज की राशि) रु. 35 लाख से ज़्यादा नहीं होना चाहिए। जब आप इनकम टैक्स सेविंग के बारे में सोच रहे हों तो ऐसी महत्वपूर्ण जानकारियाँ के बारे में जानना काफी निर्णायक होता है।
6.धारा 80जी
भारतीय करदाताओं के लिए डोनेशन (दान) को एक टैक्स सेविंग ऑप्शन के तौर पर माना जाता है। इसलिए आपकी भलाई के लिए किए गए कामों को आपकी टैक्स सेविंग रणनीतियों में शामिल किया जाना चाहिए। धारा 80जी के अंतर्गत नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइज़ेशन (ग़ैर-लाभकारी संस्थाओं) को दिए गए डोनेशन (दान) पर आप कटौती का दावा पेश कर सकते हैं।
धारा 80जी के अंतर्गत टैक्स सेविंग प्लानिंग करते समय आपको निम्नलिखित तथ्यों की जानकारी होनी चाहिए:
- कटौती के लिए पात्र होने के लिए धारा 12ए के अंतर्गत पंजीकृत सोसायटियों को ही डोनेशन (दान) देना चाहिए।
- रु. 2000 के ऊपर कैश डोनेशन (नकद दान) को कटौती के लिए वैध नहीं माना जाता।
धारा 80जी के अंतर्गत टैक्स सेविंग प्लानिंग करते समय आपको निम्नलिखित तथ्यों की जानकारी होनी चाहिए:
- कटौती के लिए पात्र होने के लिए धारा 12ए के अंतर्गत पंजीकृत सोसायटियों को ही डोनेशन (दान) देना चाहिए।
- रु. 2000 के ऊपर कैश डोनेशन (नकद दान) को कटौती के लिए वैध नहीं माना जाता।.
7. धारा 80जीजी
एक सैलरी पाने वाले व्यक्ति होते हुए इनकम टैक्स सेविंग कैसे करें इसकी प्लानिंग करते समय आप आपके सैलरी के एचआरए कंपोनेंट (घटक) पर कटौती का दावा पेश कर सकते हैं। हाँलाकि यदि आप एक किराए के घर में रहते हैं और आपकी सैलरी में एचआरए शामिल नहीं है तो आप धारा 80जीजी के अंतर्गत कटौती का दावा पेश कर सकते हैं। इस तरीके से आपके द्वारा भुगतान किया गया किराया आपके लिए टैक्स सेविंग ऑप्शन बन जाता है जिसका आप इस्तेमाल कर सकते हैं।
इस धारा के अंतर्गत शर्त यह है कि आप एक घर के मालिक नहीं होने चाहिए। इसके साथ ही, धारा 80जीजी के अंतर्गत टैक्स सेविंग के तौर पर साल में एक बार, इनमें से जो सबसे कम हो, उसे आप दावे में शामिल कर सकते हैं:
- रु. 5000 प्रति माह
- आपके वार्षिक सैलरी का 25%
- कुल भुगतान किया गया किराया – कुल आय का 10%
8. धारा 80 टीटीए
आपका सेविंग अकाउंट (बचत खाता) आपको कुछ समय के बाद इंटरेस्ट देता है। यह आपकी इनकम का हिस्सा बन जाता है और इस तरह यह टेक्स बेनिफिट इन्वेस्टमेंट के तौर पर काम कर सकता है। धारा 80टीटीए इंटरेस्ट इनकम (ब्याज की आय) पर कटौती की अनुमति देता है।
धारा 80टीटीए के तहत किस तरह इनकम टैक्स बचाएँ, इसे बेहतर तरीके से समझने के लिए, आपको यह पता होना चाहिए कि आप:
- एक बैंक/पोस्ट-ऑफिस में सेविंग अकाउंट (बचत खाते) से मिले इंटरेस्ट इनकम (ब्याज आय) पर
- रु. 10,000 की सीमा तक प्राप्त इंटरेस्ट पर
यदि आपको इनकम टैक्स कैसे बचाना है इसे लेकर समझने में परेशानी हो रही हो तो अन्य टैक्स सेविंग ऑप्शन्स के साथ प्राप्त इंटरेस्ट पर कटौती की सुविधा का लाभ उठाएँ।
यह भी पढ़ें: इनकम टैक्स स्लैब्स
कैसे करें इनकम टैक्स की बचत, इस विषय में बार बार पूछे जाने वाले सवाल
1. मेरे एम्प्लॉयर (नियोक्ता) को सबूत दिए बिना क्या मैं कटौती का दावा पेश कर सकता हूँ?
इनकम टैक्स बचत की योजना बनाते समय आपको यह सलाह देना उचित होगा कि विभिन्न टैक्स सेविंग ऑप्शन्स (कर बचत विकल्पों) में किए गए कॉन्ट्रीब्यूशन और इन्वेस्टमेंट (योगदान और निवेश) से जुड़े सबूत आप आपके एम्प्लॉयर (नियोक्ता) को दें। आपके टैक्स बेनिफिट इन्वेस्टमेंट (कर लाभ निवेश) के अनुसार आपकी टैक्सेबल इनकम पता करने में आपके एम्प्लॉयर की मदद के लिए यह ज़रुरी होता है।
हाँलाकि, यदि आप एम्प्लॉयर को समय पर सबूत नहीं दे पाते हैं तो रिटर्न दाखिल करते समय टैक्स बेनिफिट इन्वेस्टमेंट (कर लाभ निवेश) के लिए आप कटौती का दावा कर सकते हैं। इनकम टैक्स की बचत करने के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए किसी टैक्स विशेषज्ञ से परामर्श करें।
2. एक प्रायवेट (निजी) कंपनी को भुगतान किए गए लाइफ इंश्योरेंस (जीवन बीमा) प्रीमियम के लिए क्या मैं 80सी के अंतर्गत कटौती की सुविधा का लाभ ले सकता हूँ?
भारत में लाइफ इंश्योरेंस (जीवन बीमा) सबसे सामान्य टैक्स सेविंग ऑप्शन (कर बचत विकल्प) है। आपको लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम आपकी टैक्स प्लानिंग तैयार करने में मदद कर सकता है। आईआरडीएआई द्वारा मंज़ूर किए गए इंश्योरर (बीमाकर्ता) को प्रीमियम का भुगतान कर आप धारा 80 सी के अंतर्गत टैक्स कटौती की सुविधा का लाभ ले सकते हैं। यदि आप लाइफ इंश्योरेंस (जीवन बीमा) पॉलिसी लेने की योजना बना रहे हैं, तो ऑनलाइन टर्म कैल्कुलेटर का इस्तेमाल कर अनुमानित प्रीमियम की जाँच करें।
3. इनकम टैक्स बचत की योजना बनाते समय क्या एक फर्म/कंपनी 80सी के लाभ प्राप्त कर सकती है?
जब आप इनकम टैक्स सेविंग के विभिन्न ऑप्शन्स पर विचार करते हैं तो धारा 80सी के अंतर्गत केवल एक व्यक्ति टैक्स लाएबिलिटी (देयता) कम कर सकता है। अन्य टैक्स सेविंग ऑप्शन्स के विपरीत इस धारा के प्रावधान कंपनियों के लिए नहीं बनाए गए हैं।
सोर्स (स्त्रोत):
[1]https://dor.gov.in/sites/default/files/IT%20Act%20%28English%29_0.pdf
[2]https://www.incometaxindiaefiling.gov.in/eFiling/Portal/DownloadUtil/ITR_Validation_Rules/ITR-4/ITR_4_Rules_AY_2019-20_V1.0.pdf
ARN:- July/Bg/H/04